उत्तराखंड के इस मंदिर की स्थापना से पहले शिव जी और माता पार्वती ने दिए थे बाघ और गाय के रूप में दर्शन "Bagnath Temple Bageshwar"
Title: बागनाथ
मंदिर, बागेश्वर: इतिहास और महत्व।
बागनाथ मंदिर,
बागेश्वर का इतिहास:" History of Bagnath Temple Bageshwar”
Introduction:
परिचय:
भारत में उत्तराखंड
राज्य देवभूमि (DEVBHOOMI) के नाम से प्रसिद्ध है। देवभूमि पौराणिक समय से देवी-देवताओं
का निवास रहा है। कहाँ जाता है कि उत्तराखंड के कण-कण में देवो वास हैं। उत्तराखंड
के कण कण में भगवान शिव विद्यमान हैं। आज हम उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में स्थित
एक प्रसिद्ध शिव मंदिर जिसे बागनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है, तो चलिए विस्तार
से जानते हैं –
बागनाथ मंदिर, बागेश्वर का इतिहास:" History of Bagnath Temple Bageshwar”
बागनाथ मंदिर समूह
को चंद्र वंशी राजा “लक्ष्मी चंद” ने सन 1602 में बनाया था, मंदिर के नजदीक बाणेश्वर
मंदिर वास्तु कला की दृष्टि से बागनाथ मंदिर के समकालीन लगता है। मंदिर के समीप ही
भैरवनाथ का मंदिर बना है। बाबा काल भैरव मंदिर में द्वारपाल रूप में निवास करते हैं।
बागनाथ मंदिर में
16 वीं से 17 वीं शताब्दी तक की प्रसिद्ध महत्वपूर्ण प्रतिमाएं हैं। इनमें उमा-महेश्वर,
पार्वती, महिषासुर मर्दिनी, एक मुख एवं चतुमुर्खी शिव लिंग, त्रिमुखी शिव, गणेश, विष्णु,
सूर्य तथा सप्त मातृका और दशावतार आदि की प्रतिमांए स्थापित हैं। जो इस बात को प्रमाणित
करती हैं, कि 17 वीं शताब्दी से कत्यूर काल तक इस स्थान पर अत्यंत भव्य मंदिर रहा हैं।
हिंदू धर्म ग्रंथों
के अनुसार भगवान शिव यहां बाघ रूप में प्रकट हुए थे, इसलिए इसे व्याघ्रेश्वर नाम से
जाना गया था। आगे चलकर यही नाम बागेश्वर हो गया। भगवान शिव के व्याघ्रेश्वर रूप का
प्रतीक देवालय यहां स्थापित है।
शिव पुराण के मानस
खंड के अनुसार इस नगर को शिव के गण चंडीश ने शिवजी की इच्छा के अनुसार बनाया था। चंडीश
द्वारा बसाया गया नगर शिव को पसन्द आ गया और उन्होंने नगर को उत्तर की काशी का नाम
दिया। पुराणों के अनुसार अनादिकाल में मुनि वशिष्ठ अपने कठोर तपबल से ब्रह्मा के कमंडल
से निकली मां सरयू को ला रहे थे। यहां ब्रह्मकपाली के समीप ऋषि मार्कण्डेय तपस्या में
लीन थे।
वशिष्ठ जी को उनकी
तपस्या को भंग होने का खतरा सताने लगा, देखते देखते वहां जल भराव होने लगा, सरयू आगे
नहीं बढ़ सकी। उन्होंने शिवजी की आराधना की। शिवजी ने व्याघ्र (बाघ) का रूप धारण कर
माता पार्वती को गाय बना दिया और शिव द्वारा बाघ का रूप धारण कर घोर गर्जन करते हुए
गाय रूपी पार्वती पर झपटे, ऋषि मार्कंडेय तपस्या में लीन थे
गाय के रंभाने से
मार्कण्डेय मुनि की आंखें खुल गई। व्याघ्र से गाय को मुक्त करने के लिए जैसे ही मार्कण्डेय
मुनि दौड़े तो व्याघ्र ने शिव और गाय ने पार्वती का रूप धरकर मार्कण्डेय को दर्शन देकर
इच्छित वर दिया और मुनि वशिष्ठ को आशीर्वाद दिया। इसके बाद सरयू आगे बढ़ सकी। बागनाथ
मंदिर में मुख्य रूप से बेलपत्र से पूजा होती है। कुमकुम, चंदन, और बताशे चढ़ाने की
भी परंपरा है। खीर और खिचड़ी का भोग लगाया जाता है।
नि.संतान को
मिली है संतान
बागनाथ मंदिर में
उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देशभर के भक्त पहुंचते हैं। मान्यता है कि यहां के दर्शन करने
से सब दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। निसंतानों को संतान की प्राप्ति होती है।
बागनाथ मंदिर, बागेश्वर कैसे जाएं? "how to go to Bagnath Temple Bageshwar?"
देहरादून से बागेश्वर
की दूरी लगभग 470 किमी है। देश की राजधानी दिल्ली से 502 किमी। नजदीकी रेलवे स्टेशन
हल्द्वानी, काठगोदाम, रामनगर और टनकपुर हैं। इन जगहों से बस, टैक्सी से यात्रा कर बागेश्वर
पहुंचा जा सकता है।
बागनाथ मंदिर, बागेश्वर
पहुंचने के लिए निम्नलिखित यात्रा विकल्प उपलब्ध हैं:-
हवाई यात्रा: आप देहरादून, जोलीग्राम हवाई
अड्डे पर उड़ान लेनी होगी, जो बागेश्वर से करीब 470 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।
वहां से आप टैक्सी, बस इस्तेमाल करके बागनाथ मंदिर, बागेश्वर तक पहुंच सकते हैं।
सड़क यात्रा: बागनाथ मंदिर, बागेश्वर का
सड़क मार्ग के द्वारा जुड़ा हुआ है। आप अपने वाहन से या टैक्सी की सेवा लेकर बागनाथ
मंदिर, बागेश्वर तक जा सकते हैं। आपको बहुतायत दृश्यांकन का आनंद देती है।
रेल यात्रा: नजदीकी रेलवे स्टेशन देहरादून,
ऋषिकेश, हल्द्वानी, काठगोदाम, रामनगर और टनकपुर हैं, यहाँ से बागनाथ मंदिर, बागेश्वर
तक टैक्सी, बस या प्राइवेट वाहन का इस्तेमाल करके जा सकते हैं।
आप इन यात्रा विकल्पों
में से अपनी सुविधा और प्राथमिकता के आधार पर चुन सकते हैं और बागनाथ मंदिर, बागेश्वर Bagnath
Temple Bageshwar" यात्रा का आनंद ले सकते हैं।
यदि आपके पास और कोई सवाल हो जो बागनाथ मंदिर, बागेश्वर
के बारे में है, तो आप हमें पूछ सकते हैं। हमें खुशी होगी आपकी सहायता करने में।
आपको
बागनाथ मंदिर, बागेश्वर का इतिहास:" History of Bagnath Temple Bageshwar"
के
बारे मैं जानकारी कैसी लगी आप हमको comment करके बता सकते है
धन्यवाद
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